Disguised Cold War & Western Dominance - प्रच्छन्न शीतयुद्ध व पाश्चात्य वर्चस्व

By VIKAS KABEER - January 12, 2020


शीतयुद्ध(Cold war) समाप्त होने के बाद वैश्विक-पटल पर विचारधाराओं का माया-जाल बुन दिया गया जिसकी ज़द में विश्व के अनेक राष्ट्र आए। द्वि-ध्रुवीय विश्व के सिद्धान्त एवं वर्चस्व से पृथक्क होकर कई नव-निर्मित व नव-स्वाधीनता प्राप्त मुल्क़ अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के तहत गुटनिरपेक्ष व्यवस्था के साथ विश्व परिदृश्य पर उभरे। 
शीतयुद्ध बेशक़ समाप्त हो चूका हो लेकिन इसकी मूल विचारधाराएँ वर्तमान में भी विश्व को अप्रत्यक्ष रूप से अपने हाशिए पर पहुँचाने में कार्यरत हैं।

निर्वाचन की लोकतंत्रात्मक पद्धति एवं नैतिक सिद्धान्तों की अवहेलना व ह्रास करते हुए इन राष्ट्र अध्यक्षों द्वारा स्व-प्रचलित विचारधारा के तहत अपने ग़ैर-वाज़िब व ग़ैर-मुनासिब मनसूबों को बख़ूबी अंजाम दिया गया है।

अब सूरत-ए-हाल यह हैं कि विश्व की प्रबलशाली शक्तियाँ विशेषकर वीटो-धारी, अति-विकसित व अति सुखभोगि राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अपने वर्चस्व* की व्यापकता को क़ायम रखने के लिए साम,दाम,दंड,भेद आदि उपयुक्त दुष्ट क्रियाकलापों का सहारा ले रहें है।
  • वर्चस्व(Hegemony,Dominance) से तात्पर्य है कि अंतराष्ट्रीय व्यवस्था में किसी देश की ऐसी शक्तिशाली स्थिति जिसके कारण उसका कोई अन्य प्रतिद्वंदी नहीं होता और विश्व की समस्त गतिविधियाँ उसके इर्द-गिर्द चक्कर लगाती हैं। सभी अन्य देश उसकी कृपा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। वर्चस्व के मुख्य पक्ष निम्नलिखित है :-
 (1) सैन्य वर्चस्व (2) आर्थिक वर्चस्व और सबसे प्रमुख (3) सांस्कृतिक वर्चस्व।

  • सांस्कृतिक वर्चस्व(Cultural Dominance) सामाजिक, राजनीतिक और विशेषकर विचारधारा के धरातल पर किसी वर्ग या देश-विशेष का दबदबा होता है।कोई प्रभुत्वशाली वर्ग या देश अपने प्रभाव में रहने वाले लोगो को इस तरह प्रभावित कर लेता है कि वे भी दुनिया को उसी नज़रिए से देखने लगते हैं जैसे प्रभुत्वशाली वर्ग या देश देखता है।

अब हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि विश्व एक ध्रुवीय कैसे बन गया और अमेरिका इन सबका केंद्र-बिंदु कैसे बन गया?
आज यह एक सामान्य सच्चाई बन गई है कि दुनिया में अधिकांश लोगो और समाज के व्यवस्थित जीवन एवं सफलता के बारे में जो सामान्य धारणाएं विकसित हुई हैं वास्तव में वे सब 20वीं सदी के अमेरिका में प्रचलित आचार-व्यावहार के ही प्रतिबिंब हैं।
जब किसी देश की विचारधारा,नैतिक नियम, रीति-रिवाज़, रहन-सहन, लोगो के तौर तरीके दूसरे समाज के लोगो को अपनी और आकर्षित करने लगते हैं तो दूसरे समाज उन्हें अपनाने का प्रयास करने लगते हैं और उनकी दृष्टि में वह देश, उसका समाज तथा उसकी संस्कृति आदर्श मानी जाने लगती है।

उदाहरणस्वरूप Jeans Culture, Pepsi Culture, Fast-Food Culture, Shopping Mall, Mcdonald's, Pizza Hut इत्यादि अमेरिका का सांस्कृतिक वर्चस्व है जो पुरे विश्व में व्याप्त है।

आप स्वयं विवेकशील हैं और समझ सकते हैं कि एक ऐसा देश जिसकी सांस्कृतिक विरासत केवल Cowboys, शुष्क-बंजर ज़मीन एवं समुद्री डाकू(Pirates) रहे हों वो मुल्क़ सम्पूर्ण मानवजाति पर धाक कैसे जमाये बैठा है?

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