Mob Lynching - भीड़तंत्र

By VIKAS KABEER - January 15, 2020

सोचे समझे दुष्ट अधिप्रचार के तहत एकत्रित हुए पथभ्रष्ट लोगो को आजकल सामान्य भीड़ मन लिया जाता है।  ‛भीड़तंत्र' द्वारा अपने स्वार्थी निजी हितों को सिद्ध करना कहाँ तक जायज़ है?


भीड़ की दो किस्म देश के लिए घातक साबित हुई हैं।


  1. भीड़ का एक प्रकार (Lynching Mob) जो अवैध तथा आपराधिक ढंग से सरेआम नृशंस्ता एवं क्रूरता करने के लिए जानी जाती है! ऐसे लोगो के गिरोह कानून को हाथ में लेकर गणतंत्र का मज़ाक उड़ाते दिखाई देते हैं। विरोध के नाम पर ‛कुछ भी' करने को जायज़ माना जाता है और अपने कृत्य को ‛लोकतंत्र में दी गयी स्वाधीनता' की संज्ञा दे दी जाती है।
यह ‛भीड़तंत्र' सामाजिक मूल्यों व नैतिकता के सिद्धान्तों की अवहेलना तथा ह्रास करते हुए देश को हाशिये पर पहुँचाने में कार्यरत है।

कितनी बड़ी विडंबना है कि जहाँ मुद्दा गौ-रक्षको का होता है या उत्पीड़ित शख़्स दलित या मुस्लिम होता है वहां डिज़ाइनर Propaganda चलाकर समाज को गुमराह करने वाले, वस्तु-विशिष्ट व पक्षपाती दृष्टिकोण  एवं विचारधारा को आधार बनाकर समाज के साथ ‛वैचारिक जुआ' खेलने लगते हैं 
 दूसरी ओर कश्मीर में हो रही वारदातो को दबाने का प्रयास किया जाता है उन्हें वरीयता नहीं दी जाती क्योंकि यह उनके पाकिस्तान-परस्ती और अलगाववादी संस्कृति,परंपराओं के विरुद्ध है।


      2 . एक अन्य प्रकार की भीड़ भी अस्तित्व में है जो केवल मूकदर्शक बने रहने के लिए प्रख्यात है। यह भीड़ आँखें मूंदकर चल रहे तमाशे के दृश्य को अपने फोन या कैमरे में तो उतार लेती है लेकिन कभी अपने मन-मस्तिष्क पर नहीं उतार पाती। यह भीड़ अक्सर आक्रमक भीड़ या Lynching Mob के पीछे तमाशबीन बने खड़े रहती है। ऐसा भीड़तंत्र सोशल मीडिया पर Trolling करने के लिए जाना जाता है और यहीं इनकी सक्रियता अत्यधिक होती है।

भीड़ का कोई भी रूप क्यों ना हो! अगर हद बेहद हो जाए तो भुगतना देश और उसके वासियों को पड़ता है।
सरकार और सिस्टम को चाहिए की लॉ एंड आर्डर , कानून व्यवस्था को कायम रखते हुए निरंकुश भीड़ के नियंत्रण के लिय अनिवार्य प्रावधान किये जाये।

  • Share:

You Might Also Like

0 comments

Mob Lynching - भीड़तंत्र

सोचे समझे दुष्ट अधिप्रचार के तहत एकत्रित हुए पथभ्रष्ट लोगो को आजकल सामान्य भीड़ मन लिया जाता है।  ‛भीड़तंत्र' द्वारा अपने स्वार्थी निजी ...